नक्षत्र के अनुसार कौनसा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए

Rudraksha as per Nakshatra 1
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रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है। इसे धारण करने का अर्थ है देवो के देव महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करना। रुद्राक्ष शब्द दो शब्दों ‘रुद्र’ और ‘अक्ष’ से बना है जहां रुद्र भगवान शिव का नाम है और अक्ष का अर्थ है आंसू। हिंदू पौराणिक कथाओं में रुद्राक्ष का अत्यधिक महत्व है। इन्हें बेहद शक्तिशाली माना जाता है। रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जाओं का सफाया करते हैं और उनके पहनने वाले की रक्षा करते हैं। माना जाता है रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्ष 21 प्रकार के हैं और उनमें से प्रत्येक के अपने गुण और प्रभाव हैं।

रुद्राक्ष हम सभी के लिये भगवान आदिदेव शिव का प्रत्यक्ष वरदान है, जीवन की किसी भी विसंगति का हल रुद्राक्ष को धारण करने से हो सकता है। इसको धारण करने से दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों तापों से भी मुक्ति मिलती है बस आवश्यकता है तो केवल अपने अनुकूल रुद्राक्ष धारण करने की, वैसे तो किसी भी मुख का रुद्राक्ष कोई भी पहन सकता है, रुद्राक्ष कोई दुष्प्रभाव नहीं देता है केवल सर्वत्र कल्याण ही करता है, परन्तु इन सभी रुद्राक्षों में से कौन से मुख का रुद्राक्ष हमारे लिये सर्वाधिक लाभप्रद है यह जानेंगे, अब प्रश्न यह उठता है की हम कौन सा रुद्राक्ष पहने जो हमारे लिये अनुकूल हो इसके लिये ज्योतिष के अनुसार मुख्यतः 3 विधियाँ है-

  1. अपने जन्म नक्षत्र के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना
  2. अपनी राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना
  3. अपने लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना

सबसे पहले हम अपने नक्षत्र के अनुसार कौन सा रुद्राक्ष पहने इसके बारे में जानेंगे, ज्योतिष के अनुसार इस ब्रह्माण्ड में 27 नक्षत्र है, इन सभी नक्षत्रों के चार-चार चरण (पद) होते है, किसी भी व्यक्ति को हर एक नक्षत्र एवं उसके पद के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, शिवरात्री के दिन या श्रावण के पवित्र मास में इसको धारण करना सर्वाधिक शुभ एवं मंगलकारी होता है, इसे किसी भी महीने के प्रदोष (हर एक मास की त्रयोदशी तिथि) के दिन भी धारण करना अच्छा होता है, रुद्राक्ष को लाकर बिना उसकी पूजा किये धारण नही करना चाहिए, रुद्राक्ष को गंगाजल से पवित्र कर विधि पूर्वक पूजा-जाप करके धारण करने से उसका सर्वांगीण लाभ हमें प्राप्त होता है, जिस भी रुद्राक्ष को आपको धारण करना हो उसकी विधि इस पेज पर दिया गया है उसका लाभ आप ले सकते है।

नक्षत्र के अनुसार कौन सा धारण करना चाहिए

अश्विनी नक्षत्र – Aswini Nakshatra

अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनी कुमार है और इस नक्षत्र के स्वामी केतु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

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भरणी नक्षत्र – Bharani Nakshatra

भरणी नक्षत्र के देवता यम है और इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 5 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

कृतिका नक्षत्र – Krittika Nakshatra

कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि है और इस नक्षत्र के स्वामी सूर्य है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 1 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

रोहिणी नक्षत्र – Rohini Nakshatra

रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रह्मा जी है और इस नक्षत्र के स्वामी चंद्र है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

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मृगशिरा नक्षत्र – Mrigashira Nakshatra

मृगशिरा नक्षत्र के देवता चन्द्रदेव है और इस नक्षत्र के स्वामी मंगल है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

आर्द्रा नक्षत्र – Ardra Nakshatra

आर्द्रा नक्षत्र के देवता भगवान शिव है और इस नक्षत्र के स्वामी राहु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

पुनर्वसु नक्षत्र – Punarvasu Nakshatra

पुनर्वसु नक्षत्र के देवता अदिति है और इस नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

पुष्य नक्षत्र – Pushya Nakshatra

पुष्य नक्षत्र के देवता देवों के गुरु बृहस्पति देव है और इस नक्षत्र के स्वामी शनि है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

आश्लेषा नक्षत्र – Ashlesha Nakshatra

आश्लेशा नक्षत्र के देवता सर्प है और इस नक्षत्र के स्वामी बुध है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

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मघा नक्षत्र – Magha Nakshatra

मघा नक्षत्र के देवता पितर है और इस नक्षत्र के स्वामी केतु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र – Purva Phalguni Nakshatra

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग (द्वादश आदित्य में से एक) है और इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 5 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र – Uttara Phalguni

उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के देवता अर्यमा है और इस नक्षत्र के स्वामी सूर्य है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 1 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

हस्त नक्षत्र – Hasta Nakshatra

हस्त नक्षत्र के देवता सावित्र (सूर्य की प्रथम किरण) है और इस नक्षत्र के स्वामी चन्द्रमा है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

चित्रा नक्षत्र – Chitra Nakshatra

चित्रा नक्षत्र के देवता त्वष्टा (देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा) है और इस नक्षत्र के स्वामी मंगल है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

स्वाति नक्षत्र – Swati Nakshatra

स्वाति नक्षत्र के देवता पवनदेव है और इस नक्षत्र के स्वामी राहु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

विशाखा नक्षत्र – Vishakha Nakshatra

विशाखा नक्षत्र के देवता इन्द्राग्नि (इन्द्र देव और अग्नि देव) है और इस नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

अनुराधा नक्षत्र – Anuradha Nakshatra

अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र (द्वादश आदित्य में से एक) है और इस नक्षत्र के स्वामी शनि है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

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ज्येष्ठा नक्षत्र – Jyeshtha Nakshatra

ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता इन्द्र है और इस नक्षत्र के स्वामी बुध है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

मूल नक्षत्र – Mula Nakshatra

मूल नक्षत्र के देवता राक्षस है और इस नक्षत्र के स्वामी केतु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

पूर्वाषाढा नक्षत्र – Purvashadha Nakshatra

पूर्वाषाढा नक्षत्र के देवता जल देव है और इस नक्षत्र के स्वामी शुक्र है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 5 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

उत्तराषाढा नक्षत्र – Uttarashadha Nakshatra

उत्तराषाढा नक्षत्र के देवता विश्वदेव है और इस नक्षत्र के स्वामी सूर्य है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 1 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

श्रवण नक्षत्र – Shravana Nakshatra

श्रवण नक्षत्र के देवता भगवान विष्णु है और इस नक्षत्र के स्वामी चन्द्र है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

धनिष्ठा नक्षत्र – Dhanishtha Nakshatra

धनिष्ठा नक्षत्र के देवता अष्टवसु है और इस नक्षत्र के स्वामी मंगल है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

शतभिषा नक्षत्र – Shatbhisha Nakshatra

शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण देव है और इस नक्षत्र के स्वामी राहु है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र – Purva Bhadrapada Nakshatra

पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजपाद है और इस नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 3 मुखी, द्वितीय पद वालों को 6 मुखी, तृतीय पद वालों को 4 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र – Uttara Bhadrapada Nakshatra

उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के देवता अतिर्बुधन्य है और इस नक्षत्र के स्वामी शनि है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 1 मुखी, द्वितीय पद वालों को 4 मुखी, तृतीय पद वालों को 6 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

रेवती नक्षत्र – Revati Nakshatra

रेवती नक्षत्र के देवता पूषा (द्वादश आदित्य में से एक) है और इस नक्षत्र के स्वामी बुध है, इस नक्षत्र वाले व्यक्ति को 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके साथ ही प्रथम पद वालों को 5 मुखी, द्वितीय पद वालों को 7 मुखी, तृतीय पद वालों को भी 7 मुखी एवं चतुर्थ पद वालों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

उपरोक्त जानकारी नक्षत्र के अनुसार कौनसा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इसके लिए पूर्ण विवरण प्रदान करती है। हालाँकि, हम आपको यह सलाह देते है के आप कोई भी रत्न या रुद्राक्ष पहनने से पहले किसी जानकर ज्योतिष से सलाह लेना चाहिए।

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